सिंधु सभ्यता - भाग ३ - UPSC Academy - Competitive Exams Hindi Notes

Friday, 21 July 2017

सिंधु सभ्यता - भाग ३

कला 
सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों में कला के प्रति स्पष्ट अभिरुचि दिखायी देती है। 

हड़प्पा सभ्यता की सर्वोत्तम कलाकृतियाँ हैं- उनकी मुहरें, अब तक लगभग 2000 मुहरें प्राप्त हुई हैं। इनमे से अधिकांश मुहरें, लगभग 500, मोहनजोदड़ो से मिली हैं। मुहरों के निर्माण में सेलखड़ी का प्रयोग किया गया है। 
वर्गाकार मुद्राएं सर्वाधिक प्रचलित थीं। 

अधिकांश मुहरों पर लघु लेखों के साथ साथएक सिंगी सांड, भैंस, बाघ, बकरी और हाथी की आकृतियाँ खोदी गयी हैं। सैन्धव मुहरे बेलनाकार, आयताकार एवं वृत्ताकार हैं। 


इस काल में बने मृदभांड भी कला की दृष्टि से उल्लेखनीय हैं। मृदभांडों पर आम तौर से वृत्त या वृक्ष की आकृतियाँ भी दिखाई देती हैं। ये मृदभांड चिकने और चमकीले होते थे। मृदभांडों पर लाल एवं काले रंग का प्रयोग किया गया है। 

सिन्धु सभ्यता में भारी संख्या में आग में पकी लघु मुर्तिया मिली हैं, जिन्हें 'टेराकोटा फिगरिन' कहा जाता है। इनका प्रयोग या तो खिलौनों के रूप में या तो पूज्य प्रतिमाओं के रूप में होता था। 


इस काल का शिल्प काफी विकसित था। तांबे के साथ टिन मिलाकर कांसा तैयार किया जाता था।

अन्य जानकारी 
प्राचीन मेसोपोटामिया की तरह यहां के लोगों ने भी लेखन कला का आविष्कार किया था। हड़प्पाई लिपि का पहला नमूना 1853 ईस्वी में मिला था और 1923 में पूरी लिपि प्रकाश में आई परन्तु अब तक पढ़ी नहीं जा सकी है।  सिन्धु सभ्यता की लिपि दायें से बाएं लिखी जाती थी। इस लिपि में 700 चिन्ह अक्षरों में से 400 के बारे में जानकारी प्राप्त हुई है।

व्यापार के लिए उन्हें माप तौल की आवश्यकता हुई और उन्होनें इसका प्रयोग भी किया। 

यह सभ्यता मुख्यतः 2500 ई.पू. से 1800 ई. पू. तक रही। यह सभ्यता अपने अंतिम चरण में ह्वासोन्मुख थी।

मोहनजोदड़ो (Mohenjo Daro) नगर से जो मानव प्रस्तर मूर्तियां मिली हैं, उसमें सेदाढ़ी युक्त सिर विशेष उल्लेखनीय हैं।

मोहनजोदड़ो ((Mohenjo Daro)) के अन्तिम चरण से नगर क्षेत्र के अन्दर मकानों तथा सार्वजनिक मार्गो पर 42 कंकाल अस्त-व्यस्त दशा में पड़े हुए मिले हैं।

इसके अतिरिक्त मोहनजोदाड़ो से लगभग 1398 मुहरें (मुद्राएँ) प्राप्त हुयी हैं जो कुल लेखन सामग्री का 56.67 प्रतिशत अंश है।

पत्थर के बने मूर्तियों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण शैलखड़ी से बना 19 सेमी. लम्बा 'पुरोहित' का धड़ है।

मोहनजोदड़ो की एक मुद्रा पर एक आकृति है जिसमें आधा भाग 'मानव' का है आधा भाग 'बाघ' का है। एक सिलबट्टा तथा मिट्टी का तराजू भी मिला है। 
सिंधु सभ्यता प्रमुख नगर एवं उनके शोधकर्ता
नगर नामखोजकर्ताखोजवर्षनदीकिनारा
हड़प्पामाधोस्वरुप वत्स
दयाराम साहनी
१९२१ रावी नदी
मोहेंजोदड़ोराखालदास बॅनर्जी१९२२सिंधु नदी
रोपड़यज्ञदत्त शर्मा१९५३सतलज नदी
कालीबंगाब्रजवासी लाल
अमलानंद घोष
१९५३घग्घर नदी
लोथलए. रंगनाथ राव१९५४भोगवा नदी
चन्हुदडोएन गोपाल मुजुमदार१९३१सिंधु नदी
सुरकोटड़ाजगपति जोशी१९६४
बनावलीरविंद्रसिंग बिष्ट१९७३
आलमगीरपुरयज्ञदत्त शर्मा१९५८हिंडन नदी
रंगपुरमाधोस्वरुप वत्स
रंगनाथ राव
१९३१ - १९५३मदर नदी
कोटदीजीफजल अहमद खान१९५३सिंधु नदी
सुत्कागेनडोरऑरेल स्टाइन
जॉर्ज एफ डेल्स
१९२७दाश्त नदी
धौलावीराजे.पी. जोशी1967
दैमाबादआर. एस. विष्ट1990`प्रवरा नदी
देसलपुरके. वी. सुन्दराजन1964
भगवानपुराजे.पी. जोशी
सरस्वती नदी
बालाकोटजॉर्ज एफ डेल्स१९७९अरब सागर


हड़प्पा सभ्यता में आयात होने वाली वस्तुएं
वस्तुएंस्थल (प्रदेश)
टिनअफगानिस्तान और ईरान से
चांदीअफगानिस्तान और ईरान से
सीसाअफगानिस्तान, राजस्थान और ईरान से
सेल खड़ीगुजरात, राजस्थान तथा बलूचिस्तान से
सोनाईरान से
तांबाबलूचिस्तान और राजस्थान के खेतड़ी से
लाजवर्द मणिमेसोपोटामिया



सिन्धु सभ्यता से सम्बंधित महत्वपूर्ण वस्तुएं
महत्वपूर्ण वस्तुएंप्राप्ति स्थल
तांबे का पैमानाहड़प्पा
सबसे बड़ी ईंटमोहनजोदड़ो
केश प्रसाधन (कंघी)हड़प्पा
वक्राकार ईंटेंचन्हूदड़ो
जुटे खेत के साक्ष्यकालीबंगा
मक्का बनाने का कारखानाचन्हूदड़ो, लोथल
फारस की मुद्रालोथल
बिल्ली के पैरों के अंकन वाली ईंटेचन्हूदड़ो
युगल शवाधनलोथल
मिटटी का हलबनवाली
चालाक लोमड़ी के अंकन वाली मुहरलोथल
घोड़े की अस्थियांसुरकोटदा
हाथी दांत का पैमानालोथल
आटा पिसने की चक्कीलोथल
ममी के प्रमाणलोथल
चावल के साक्ष्यलोथल, रंगपुर
सीप से बना पैमानामोहनजोदड़ों
कांसे से बनी नर्तकी की प्रतिमामोहनजोदड़ों

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