संविधान मतलब क्या? - UPSC Academy - Competitive Exams Hindi Notes

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Wednesday, 5 April 2017

संविधान मतलब क्या?

किसी भी लोकतान्त्रिक राज्यतंत्र में शासन प्रबंधन मौलिक कानूनोंद्वारा संचालित होता है, जिसे हम संविधान कहते है। संविधान को सही अर्थोंमें शक्ति की आत्मकथा कहा जा सकता है। 

ब्लैक लॉ शब्दकोष में संविधान को राष्ट्र अथवा राज्य के उन मूल कानूनों के रूप में बताया गया है जो सरकार की संस्थाओं व् व्यवस्थाओं को स्थापित करते है। 

प्रोफ़ेसर स्ट्रांग के अनुसार "संविधान को सिद्धांतो का समुच्चय कहा जा सकता है।  जिसके अनुसार सरकार की शक्ति तथा शासितोंके अधिकार और दोनों के परस्पर सम्बन्ध समायोजित होते हैं। 

संविधान को शक्ति जनता से मिलती है जो वास्तव में सरकारके स्वरुप को विनिर्दिष्ट करता है।  संघ अथवा राज्य को शासित करने के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।  जनता तथा क्षेत्रीय समुदाय से संपर्क बनाये रखने के लिए व्यवस्था प्रदान करता है।  



संविधान के प्रकार
संविधान लिखित तथा अलिखित दोनों प्रकार के होते हैं।  ज्यादातर संविधान लिखित होते हैं। अलिखित संविधान अविकसित एव परिवर्तनशील होते है।  लिखित संविधान किसी विशिष्ट समय पर लिखे संविधान होते है। जो जटिल होते है। 

अलिखित संविधान विकसित होते हैं जो संहिताबद्ध नहीं किये जाते।  इज्राएल, न्युझीलैंड और ब्रिटेन में अलिखित प्रकार के संविधान है।  अलिखित संविधान में, जैसा की  ब्रिटेन में हैं, अनेक चार्टर और संसदीय अधिनियम है जो अपने स्वरूप में लिखित है।  ये अब ब्रिटिश राजनैतिक व्यवस्था का भाग है।  इन्हें समय के साथ लागू किया गया है। 

अलिखित संविधान समय की आवश्यकताद्वारे परिवर्तित किये जा सकते है।  इनमे संशोधन करने का तरीका बहुत ही सरल होता है।  जैसा की साधारण बहुमत से भी संविधान में संशोधन किया जा सकता है।  ऐसे संविधान को परिवर्तनशील संविधान अथवा लचीला संविधान कहा जाता है।

लिखित संविधान विकसित होते हैं और संहिताबद्ध भी किये जाते है।  लिखित संविधान सदैव लिखित नहीं रहते, समय के साथ उनमे रूढ़ियाँ सृजित हो जाती है।  इनका बेहतरीन उदाहरण भारत और अमरीका के संविधान है।  

लिखित संविधान जटिल होते है।  क्योंकि उनमें संशोधन करने का तरीका कठिन होता है।  उनमे संशोधन करने के लिए विशेष बहुमत की जरुरत होती है।  विशेष बहुमत ५५ से ७५ प्रतिशत के करीब हो सकता है।  संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्ज़रलैंड आदि के संविधान जटिल प्रकार के है। 

इन दो प्रकारों के अलावा संविधान का एक और प्रकार भी है। जिसे आंशिक रूप से परिवर्तनशील तथा आंशिक रूप से जटिल कहा जाता है।  ऐसे संविधानो में कुछ संशोधन साधारण बहुमत से तो कुछ संशोधनों के लिए विशेष प्रकार के बहुमत की आवश्यकता होती है। भारत का संविधान इस प्रकार के संविधान का उदाहरण है। 



संविधान का रूप
संविधान का रूप संघीय , परिसंघीय तथा एकात्मक स्वरूप का हो सकता है।  

परिसंघीय रूप में, कुछ संप्रभुता संपन्न देश अपनी संप्रभुता बनाये रखते हुए कुछ मामलो में अपने से ऊपर एक व्यवस्था निर्माण करते है। यूरोपियन यूनियन इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। 

संघीय रूप में, कुछ छोटी इकाइयां अपनी संप्रभुता छोड़ देती है।  उनसे बड़ी एक व्यवस्था के हातो संप्रभुता बहाल की जाती है।  परंतु अपने अलग अस्तित्व को समाप्त नहीं होने देते।  संयुक्त राज्य अमेरिका, स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रेलिया आदि संघीय रूप के उदाहरण है। 

एकात्मिक रूप में, देश में शक्तियों का विभाजन नहीं होता।  पुरे देश में एक ही सरकार का शासन चलता है।  प्रशासकीय दृष्टिकोण से कुछ स्थानीय व्यवस्थाएं होती है।  परंतु अंतिम अधिकार केंद्र के पास होते है।  यूनाइटेड किंगडम, सिंगापूर, फ़्रांस, इटली, इजरायल इस प्रकार के संविधान के उदहारण है। 

अपवाद स्वरुप में, ऐसा भी हो सकता है की, किसि देश का स्वरूप संघात्मक हो और शासन का स्वरुप एकात्मक हो।  इसका मतलब केन्द्रिय (संघीय) सरकार प्रान्तीय सरकारों की अपेक्षामें अधिक शक्तिशाली हो।  भारत इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। 



शासन के प्रकार
शासन संसदात्मक भी हो सकता है और अध्यक्षात्मक भी हो सकता है।  इसके अलावा अर्ध-संसदात्मक और अर्ध-अध्यक्षात्मक भी हो सकता है।  

संसदात्मक शासन में विधानपालिका और कार्यपालिका एक दूसरे से जुड़े हुए होते है।  ब्रिटेन और भारत इसके उदाहरण है। 

अध्यक्षात्मक शासन में विधानपालिका और कार्यपालिका एक दूसरे से अलग होते है।  संयुक्त राज्य अमेरिका, इंडोनेशिया, मेक्सिको, दक्षिण कोरिया, फिनलैंड, श्रीलंका यह इसके उदहारण है। 

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